श्रद्धा का प्रतीक, सेवा का संकल्प – श्री श्याम धाम सूरत
श्रीश्याम
एक आस्था, एक इतिहास
सूरत स्थित श्रीश्याम मंदिर, श्रद्धा, विश्वास और भक्ति की भूमि है, जहाँ भक्तजन बाबा श्याम के दिव्य दर्शन से आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं।
2017–2018: प्रारंभिक विकास और पहली भव्य कथा
मंदिर निर्माण एवं सेवा कार्यक्रमों का विस्तार
इस काल में मंदिर के तीन गुम्बदों का निर्माण पूर्ण हुआ, साथ ही शीतला माता एवं शनि मंदिर का पुनर्निर्माण शुरू हुआ। प्रथम पटोत्सव पर 108 कथाकारों के साथ एक विशाल भागवत कथा महोत्सव आयोजित हुआ, जिसमें प्रतिदिन 10,000 से अधिक भक्तों ने भाग लिया। भारत माता मंदिर, हरिद्वार के स्वामी सत्य मित्रानंद गिरी जी महाराज का मार्गदर्शन मंदिर को प्राप्त हुआ। इस अवधि में वार्षिक रक्तदान शिविर की शुरुआत की गई, जो सेवा भावना का सशक्त प्रतीक बना।
























2018–2022: संरचना, सेवा और संकट में सेवा
निर्माण की मजबूती और समाज सेवा
मंदिर सभागृह की फ्लोरिंग, मुख्य द्वार, कंपाउंड वॉल और गुम्बदों सहित विभिन्न निर्माण कार्य पूर्ण किए गए। कोरोना काल के दौरान 60 दिनों तक भोजन सेवा चलाई गई, जिसमें 20.7 लाख भोजन पैकेट वितरित हुए। वैक्सीनेशन शिविर में 50,000 से अधिक डोज़ लगाए गए। इस अवधि में रक्तदान शिविरों की परंपरा भी जारी रही, जिसने मानव सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।



















जनवरी 2022 – जून 2024: मंदिर विस्तार की दिशा में कदम
भूमि विस्तार और भक्ति कथा महोत्सव
2200 वर्ग गज नई भूमि की रजिस्ट्री पूर्ण हुई। इस उपलक्ष्य में श्री विजय कौशल जी महाराज की श्रीराम कथा आयोजित की गई, जिसमें हजारों भक्तों ने भाग लिया। भजन संध्याएँ, भक्तिपूर्ण नृत्य प्रस्तुतियाँ और नियमित रक्तदान शिविरों ने भक्ति और सेवा की भावना को और गहरा किया। यह चरण मंदिर के भव्य विस्तार की नींव बनकर उभरा।

























वर्तमान कार्यकारिणी (2024–वर्तमान): भव्यता की ओर अग्रसर
चांदी मंडन और भावी निर्माण योजनाएँ
श्याम बाबा के दरबार में चांदी मंडन कार्य आरंभ किया गया, जो भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक है। गौरव कृष्ण शास्त्री जी के श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में प्रतिदिन भजन संध्या ने वातावरण को भक्तिमय किया। नव भूमि पर निर्माण की योजना पूर्ण रूप से तैयार है। आने वाले समय में सालासर दरबार में भी चांदी मंडन प्रस्तावित है, जिससे मंदिर की भव्यता और बढ़ेगी।














