श्रद्धा का प्रतीक, सेवा का संकल्प – श्री श्याम धाम सूरत
श्री श्याम धाम, सूरत
भक्ति का दिव्य केंद्र
जहाँ श्रद्धा मिलती है शांति से, और सेवा से साकार होता है सपनों का धाम।
श्री श्याम मंदिर, सूरत - एक परिचय
श्रद्धा, सेवा और समर्पण से सजे श्याम बाबा के पावन धाम का परिचय
श्री श्याम मंदिर, सूरत, न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि भक्ति, सेवा और आस्था का जीवंत प्रतीक है। वर्ष 2011 में प्रारंभ हुए इस मंदिर के निर्माण कार्य को 2021 में भक्तों की अटूट श्रद्धा और समर्पण के साथ पूर्ण किया गया। यहां हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु प्रभु श्याम के दर्शन करते हैं, भजन गाते हैं, और आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं।
यह पावन धाम खाटू श्याम जी की अखंड ज्योति से प्रकाशित है, जिसे पदयात्रा के माध्यम से सूरत लाया गया। साथ ही त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग से लाई गई ज्योति भी यहाँ प्रज्वलित है। इस मंदिर में नित्य पूजा, सेवा कार्य, रक्तदान शिविर और भागवत कथाएँ आयोजित की जाती हैं जो समाज और आध्यात्मिक जीवन को एक नई दिशा देते हैं।
वार्षिक दर्शनार्थी
सेवा कार्य/वर्ष
वार्षिक भजन
श्री श्याम मंदिर सूरत – ऐतिहासिक समयरेखा

सन् 2011 में श्रद्धालु भक्तों की सेवा भावना से मंदिर निर्माण का संकल्प लिया गया। धीरे-धीरे इस कार्य को भक्तों के तन-मन-धन सहयोग से गति मिली। यही वह वर्ष था जब श्याम धाम की आधारशिला सूरत शहर में रखी गई।

नियमित भजन संध्या, पाठ और मासिक सत्संगों का आयोजन बढ़ाया गया जिससे भक्तों की सहभागिता बढ़ी।
मंदिर द्वारा छोटे-पैमाने पर प्रसाद वितरण और सामाजिक सहयोग की पहल भी शुरू की गई।

मंदिर ने सामाजिक कार्यक्रमों जैसे कम्युनिटी भोजन, वृद्धों की सहायता और स्थानीय राहत कार्यों में भागीदारी बढ़ाई।
युवा एवं बाल-कार्यक्रमों के माध्यम से समर्पित सेवा और शिक्षा के प्रारम्भिक प्रयास किये गए।

पूजा स्थल, प्रकाश व्यवस्था और बैठने की व्यवस्था में सुधार कर मंदिर के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ किया गया।
पार्किंग, साफ-सफाई और व्यवस्थापक प्रक्रियाओं को व्यवस्थित कर भक्तों के अनुभव को बेहतर बनाया गया।

वार्षिक मेले, भजन-संध्या और प्रमुख त्योहारों के आयोजन का पैमाना बढ़ा; स्थानीय व अतिथि कलाकारों को आमंत्रित किया गया।
दान तथा मंदिर-सहयोगी नेटवर्क को संगठित कर बड़े आयोजन सुचारु रूप से संचालित किये गए।

मंदिर ने समुदाय तक सूचना पहुँचाने के आधुनिक साधनों को अपनाना शुरू किया—सूचनात्मक पोस्टर, कार्यक्रम-सूचनाएँ और सदस्य व्यवहार।
ऑनलाइन उपस्थिति बढ़ाने के प्रारम्भिक कदम उठाए गए ताकि भक्तों तक timely जानकारी और आयोजन-समाचार पहुँच सके।

1 फरवरी 2017 को बसंत पंचमी पर मंदिर की स्थापना विधिपूर्वक की गई। खाटू धाम और सालासर बालाजी से पैदल यात्रा द्वारा अखंड ज्योति लाई गई, जिसमें 40 दिन लगे। इसी दिन आठ दिवसीय भव्य महोत्सव का भी आयोजन हुआ।

इस वर्ष श्याम मंदिर में वार्षिक रक्तदान शिविरों की परंपरा आरंभ हुई। युवाओं और वरिष्ठ भक्तों ने बढ़-चढ़कर रक्तदान में भाग लिया। मंदिर ने सामाजिक सेवा के क्षेत्र में नई दिशा में कदम रखा और जनकल्याण का नया अध्याय शुरू किया।

मंदिर सभागृह, गुंबद, मुख्यद्वार, कंट्रोल रूम, फ्लोरिंग एवं कंपाउंड वॉल का निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया। साथ ही ध्वजदंड व कलश का स्वर्ण पॉलिश कर पुनः प्रतिष्ठापन हुआ। मंदिर ने भव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा दोनों में वृद्धि की।

कोविड काल में मंदिर ट्रस्ट ने 60 दिनों तक भोजन सेवा द्वारा 20 लाख से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराया। साथ ही 50,000 से अधिक लोगों को वैक्सीन देने हेतु शिविर आयोजित हुआ, जिससे सामाजिक सेवा की एक नई मिसाल बनी।

मंदिर ने 2,200 वर्ग गज नई भूमि का रजिस्ट्रीकरण करवाया। इस शुभ अवसर पर वृंदावन के श्री विजय कौशल जी महाराज द्वारा सात दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों भक्तों ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर भक्ति की अनुभूति की।

मंदिर परिसर में चांदी मंडन का शुभारंभ हुआ, जिससे दरबार की दिव्यता और भक्तों की आस्था को नया रूप मिला। श्रीमद् भागवत कथा और भजन संध्या के आयोजन ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। आगामी निर्माण योजनाएं भी तैयार की गईं।
श्री श्याम बाबा का इतिहास
कलियुग के देवता, जिनका सिर कभी झुका नहीं
महाभारत के महान योद्धा बर्बरीक, भीम-पुत्र घटोत्कच के पुत्र थे। युद्ध में केवल हारने वाले पक्ष की ओर से लड़ने के वचन के कारण श्रीकृष्ण ने उनसे उनका शीश माँगा। बर्बरीक ने बिना संकोच अपने सिर का बलिदान दे दिया। श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में वे “श्याम बाबा” नाम से पूजे जाएंगे। आज खाटूधाम में स्थित मंदिर में उनका शीश विराजित है, जहाँ लाखों भक्त उनकी भक्ति में लीन होकर मनोकामना पूर्ण करते हैं। श्याम बाबा आज भी भक्तों की पुकार सुनते हैं।
श्री श्याम बाबा को कलियुग के जीवंत देवता माना जाता है, जिनकी भक्ति से हर समस्या का समाधान संभव है। उनकी कृपा से असंभव भी संभव हो जाता है। भक्त मानते हैं कि एक बार सच्चे मन से “जय श्री श्याम” पुकारने पर बाबा उनके दुख हर लेते हैं। खाटू श्यामजी के मंदिर में फाल्गुन मेला और हर एकादशी को लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुँचते हैं। उनकी भक्ति किसी जाति, वर्ग या धर्म की सीमा में नहीं बंधती — वे सबको समान रूप से आशीर्वाद देते हैं।
श्याम धाम से जुड़ें – दर्शन, सेवा और भक्ति का अनुभव
भजन संग्रह
भक्ति में रमा एक संगीतमय यात्रा
श्री श्याम बाबा के भजनों का यह संग्रह भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। इनमें बाबा की महिमा, लीला और भक्तों की श्रद्धा को संगीतमय रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह भजन संग्रह न केवल मन को शांत करता है, बल्कि भक्तों को बाबा से आत्मिक रूप से जोड़ने का माध्यम भी बनता है। चाहे मंदिर में हो या घर पर, ये भजन हर जगह बाबा की उपस्थिति का अनुभव कराते हैं।
लाइव दर्शन
अब घर बैठे भी करें श्याम बाबा के दर्शन।
भक्तों की सुविधा के लिए श्री श्याम मंदिर, सूरत से प्रतिदिन आरती और पूजा-पाठ का सीधा प्रसारण किया जाता है। घर बैठे ही बाबा के दिव्य दर्शन करें और भक्तिभाव से जुड़ें।
प्रातः आरती
सुबह 6:00 बजे
संध्या आरती
शाम 7:00 बजे
विशेष पूजा
हर एकादशी एवं पूर्णिमा को
आरती का समय और विधि
भक्ति से भरी आरतियाँ — श्याम बाबा के चरणों का नित्य साकार अनुभव।
श्री श्याम मंदिर में प्रतिदिन होने वाली आरतियाँ भक्तों के लिए आध्यात्मिक अनुष्ठान और भक्ति का मुख्य केंद्र हैं। नीचे आरतियों का समय, रीतिरिवाज और महत्त्व दिया गया है।
सुबह की आरती (उषा आरती)
समय: सुबह 6:00 बजे
अवधि: 10–15 मिनट
विधि: हल्दी/कुमकुम का तिलक, दीप प्रज्वलन, संक्षिप्त मंत्र, आरती गीत
दोपहर की आरती (मध्याह्न आरती)
समय: दोपहर 12:00 बजे
अवधि: 5–10 मिनट
विधि: सरल भजन, प्रसाद अर्पण
शाम की आरती (सांझ आरती / दीप आरती)
समय: शाम 7:30 बजे
अवधि: 20–25 मिनट
विधि: बड़े भजन-संग्रह, नृत्यात्मक आरती (यदि हो), प्रसाद वितरण
विशेष पूजा / त्यौहार आरती
समय: त्यौहार/विशेष अवसरों पर कार्यक्रम अनुसार (पूर्व सूचना दी जाएगी)
विधि: विशेष मंत्रोच्चार, आरती-यज्ञ, माला-पूजन, प्रसाद वितरण
गैलरी – भक्ति और स्मृतियों की झलक
आगामी आयोजन

श्री श्याम संकीर्तन महोत्सव
स्थान: श्री श्याम मंदिर प्रांगण, सूरत
दिनांक: 15 सितम्बर 2025, शाम 6:00 बजे से
एक भव्य संध्या जहां प्रसिद्ध भजन गायकों द्वारा श्री श्याम बाबा के भजन प्रस्तुत किए जाएंगे। श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद एवं भंडारे की व्यवस्था की गई है।

जन्माष्टमी विशेष रात्रि जागरण
स्थान:श्री श्याम मंदिर, सूरत
दिनांक: 26 अगस्त 2025, रात 10:00 बजे से
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के पावन अवसर पर रात्रि जागरण, झांकी, और कीर्तन का आयोजन। रात्रि 12 बजे विशेष श्रीकृष्ण जन्म आरती और दर्शन।
पावन सेवा में भागी बनें
आपका छोटा सा योगदान मंदिर की दिव्य सेवाओं को और भी भव्य बना सकता है।
श्री श्याम मंदिर, सूरत में दान करना अब सरल और सुरक्षित है। आपका दान मंदिर विकास और धार्मिक सेवा कार्यों में उपयोग होता है, जिससे आप पुण्य के भागीदार बनते हैं।
जन्मदिन
अपने जन्मदिन पर पाएं श्री श्याम जी का आशीर्वाद
अपना विशेष दिन बनाएं और पावन अनुभूति के साथ कीजिए शुरुआत। मंदिर में भोग अर्पण और पूजा की सुविधा उपलब्ध है।



प्रतिदिन भोग दर्शन
हर दिन प्रातः 11:30 बजे श्री श्याम जी को विशेष भोग अर्पण
दर्शन के लिए मंदिर पधारें या ऑनलाइन जुड़ें
भोग दर्शन से आत्मिक शांति और पुण्य लाभ प्राप्त करें।




































