श्रद्धा का प्रतीक, सेवा का संकल्प – श्री श्याम धाम सूरत
भोग
प्रति दिन बाबा को समर्पित पवित्र भोग
हर दिन श्याम बाबा को अर्पित किया जाने वाला भोग श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है। यह परंपरा भक्तों की सेवा भावना और बाबा के प्रति समर्पण को दर्शाती है।
नियमित भोग अर्पण की दिव्य परंपरा
हर दिन सुबह से शाम तक श्याम बाबा को श्रद्धा के साथ भोग अर्पित किया जाता है। प्रातःकालीन आरती के बाद फल, दूध और सूखे मेवे का भोग चढ़ाया जाता है, जो दिन की शुभ शुरुआत का प्रतीक होता है। दोपहर में भक्तों द्वारा खिचड़ी, हलवा या कोई घर का बना सादा व्यंजन अर्पित किया जाता है, जो सादगी और भक्ति का समर्पण दर्शाता है।
संध्याकालीन आरती के समय हल्का व सात्विक भोजन बाबा को अर्पित किया जाता है, जैसे फल, मिठाई या पंचामृत। इस पूरी प्रक्रिया में स्वच्छता, शुद्धता और नियमों का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह भोग न केवल अन्न का अर्पण है, बल्कि भक्तों के मन, वचन और कर्म से किए गए प्रेमपूर्ण समर्पण की अभिव्यक्ति है।
भोग अर्पण केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि यह प्रभु के साथ एक आत्मिक संवाद है। भक्त अपने घर के बने व्यंजन, ताजे फल और विशेष प्रसाद सामग्री के साथ मंदिर में आकर भोग अर्पित करते हैं, जिससे उन्हें आंतरिक संतोष और आध्यात्मिक सुख की अनुभूति होती है।
त्योहारों पर विशेष भोग
त्योहारों, पूर्णिमा, विशेष रात्रि जागरण व महा आरती के दिन विशेष भोग तैयार किया जाता है जैसे हलवा, पूड़ी, पंचामृत, केसरिया दूध आदि। इन अवसरों पर भोग में अधिक वैविध्य और भक्ति का वातावरण होता है।


